मुलताई किसान आंदोलन की नेत्री श्रीमती कलावती बाई गढ़ेकर का निधन
25 वें शहीद किसान स्मृति सम्मेलन के द्वार का नाम कलावती स्मृति द्वार रखा जाएगा
-डॉ सुनीलम
मुलताई किसान आंदोलन की नेत्री श्रीमती कलावती बाई गढ़ेकर का आज 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कलावती बाई की मृत्यु को व्यक्तिगत एवं किसान आंदोलन की अपूरणीय क्षति बतलाते हुए कहा है कि श्रीमती कलाबाई ने मुलताई किसान आंदोलन के शुरुआती दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
डॉ सुनीलम ने कहा कि 9 जनवरी 1998 को जब पुलिस प्रशासन के अधिकारी किसानों की रैली को रोकने तथा मुझे गिरफ्तार करने परमंडल पहुंचे थे तब कलावती बाई के नेतृत्व में महिलाओं ने अधिकारियों का घेराव किया तथा एसडीएम, मुलताई और पुलिस अधिकारियों को बैतूल की रैली में शामिल कराकर बैतूल तक ले जाने का काम किया।
जब बैतूल में कुछ नेताओं द्वारा व्यवधान पैदा करने की कोशिश की गई थी तब उसे सुधारने की कार्यवाही भी कलावती बाई द्वारा की गई थी।
डॉ सुनीलम ने बताया कि जब उन्हें स्वयं एसपी ने गोली चलाकर मारने की कोशिश की थी तब जो किसान गोली लगने से घायल हुए थे उन्हें अस्पताल पहुंचाने के बाद टंटी चौधरी जी और कलावती बाई अस्पताल में उनके थे। वे मुझे अकेले छोड़ने को तैयार नहीं थे। उन्हें डर था कि मुझे गोली मार दी जाएगी । उन्हें मैंने दबाव डालकर परमंडल भेजा था ।
डॉ सुनीलम ने कहा कि ऐसी बहादुर नेत्री का जाना उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है तथा किसान संघर्ष समिति का भी बड़ा नुकसान है।
डॉ सुनीलम ने बताया कि कलावती बाई की स्मृति में 25 वें शहीद किसान स्मृति सम्मेलन के द्वार का नाम कलावती स्मृति द्वार रखा जाएगा ।
आज एनस और हरण्या की किसान पंचायत के बाद कलावती बाई को ग्रामवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के, तहसील अध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया शामिल हुए।