पिता की तेरव्ही पर पुत्र ने मृत्युभोज न देकर किया पौधरोपण। पेश की नई मिसाल
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प्रभात पट्टन से इकेश आठनेरे की रिपोर्ट।
मृत्युभोज न देकर समाज मे पर्यावरण संरक्षण का दिया सन्देश
जब भी किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो पूरा समाज उस इंसान की आत्मा की शांति व उस परिवार पर इस अकाल दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए उस परमात्मा से दुवाएं मांगते है, ओर उस आत्मा की शांति के लिए आज भी समाज मे श्रंद्धाजलि के साथ मृत्युभोज का कार्यक्रम रखा जाता है,लेकिन आज प्रभात पट्टन में स्व. विजय भालेकर के श्रंद्धाजलि के कार्यक्रम में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला, स्व. विजय भालेकर की सुपुत्री रविना भालेकर ने बताया की उनके पिताजी हमेशा समाज के हितकार्यो में आगे रहते थे इसलिए उनकी स्मृति में आज 25 लक्ष्मीतरु के पौधे रोपे गए, ये गुणकारी पौधा केंसर जैसी खतरनाक बीमारी के उपचार में लाभकारी है, इस अवसर पर श्रीमती लता आत्रे ने कहा की ये पहल बहुत ही अच्छी है ,स्व भालेकर जी के परिवार के द्वारा अस्पताल परिसर में रोपे गए पौधे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अच्छा सन्देश है, तथा हम सभी ये कोशिश करे कि कुप्रथाओं के जगह ऐसे नवाचार करके समाज मे सकारात्मक बदलाव ला सकते है ,इस अवसर पर पार्वती आठनेरे, राजू सुर्यवंशी,बबिता भालेकर,गोपाल भुम्मरकर, इंद्रजीत वरवड़े,हरेश जवारकर,मीना चौरे,सविता दवंडे, कविता लोखंडे, हिमांशु नागले,आशा बाई बागड़े,कोमल पाटिल,रणजीत वरवड़े,महेंद्र जवारकर, अरुण आठनेरे, भावना,मयूरी, भोजू वागद्रे आदि उपस्थित रहे !

