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शिवरात्रि के पहले सांप ले कर घूम रहे व्यक्ति के चुंगल से सर्पमित्र ने सांप को कराया मुक्त।

शिवरात्रि के पहले सांप ले कर घूम रहे व्यक्ति के चुंगल से सर्पमित्र ने सांप को कराया मुक्त।



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श्रीकांत विश्वकर्मा की रिपोर्ट

Multai snake news. आज दिन शुक्रवार को शिवरात्रि 2023 के एक दिन पहले मुलताई में श्रीकांत विश्वकर्मा सर्पमित्र को जानकारी प्राप्त हुई की एक शख्स सांप को टोकरी में रखकर सभी के घर घर दुकान दुकान जाकर साप दिखाकर पैसे मागने का कार्य कर रहा है। सर्प मित्र को आकाश राठौर द्वारा जानकारी दी गई जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे सर्प मित्र श्रीकांत विश्वकर्मा ने उस व्यक्ति को समझाई देने की कोशिश कि मगर वह व्यक्ति इधर उधर भागता रहा । फिर उसे भाजपा नेता मनीष माथनकर गौ क्रांति दल के डीके कालभोर एवम् श्रीकांत द्वारा बहुत समझाया गया और उससे सांप को श्रीकांत ने अपने कब्जे में लेकर पर्यावरण में छोड़ दिया गया। उस व्यक्ति ने उस सांप के दांत और जहर को निकाल लिया था और लोगो के घरों घर जाकर के पैसे मांगने का काम कर रहा था, लेकिन श्रीकांत की जब नजर पड़ी तो उन्होंने उस सांप को कब्जे में कर पर्यावरण में छोड़ दिया। श्रीकांत ने बताया कि सांप को कैद करके रखना या उसे पब्लिक के बीच लेकर घूमना कानूनन अपराध है जिसके लिए सजा का प्रावधान है। श्रीकांत ने बताया की महाशिवरात्रि और नांगपंचमी आदि त्योहार आते ही ऐसे लोग शहर में आने लगते हैं और अंधविश्वास फैलाते हैं श्रीकांत विश्वकर्मा द्वारा इन का पर्दाफाश किया गया और इस प्रकार के अंधविश्वास से दूरी बनाए रखने की अपील की गई।


सिल दिया जाता है मुंह :

जानकारी के मुताबिक सपेरे सांप को पकड़ कर जिंदा सांप के मुंह को सुई धागे से सिल देते हैं। मुंह सिल जाने के बाद यह सांप पूरी तरह से असहाय हो जाता है। इसके बाद आराम से चिमटी के सहारे सांप के मुंह से उन दांतों को खोज कर जिंदा अवस्था में उखाड़ लिया जाता है। पूरी तरह असहाय करने के बाद सांप को भूखा तक रखा जाता है इससे वह सुस्त हो जाता है और खुद के लिए शिकार तक नहीं कर पाता।


सांप पालना और नचाना अपराध : प्रिवेंशन ऑफ

क्रुएलिटी ऑफ एनिमल एक्ट के तहत किसी को भी सांप पालने का अधिकार नहीं है. जो लोग सांप रखते हैं, वो उन्हें बंधक बनाकर रख रहे हैं. इसके साथ ही मदारी सांप का जहर खत्म करने के लिए उसकी जहरीली दाढ़ (दांत) को तोड़ देता है. इसके बाद सांप खुद की किसी से रक्षा नहीं कर पाता और वह जंगल में छोड़ दिया जाए तो कुछ खा भी नहीं सकता. यह अपराध की श्रेणी में आता है. इसके दोषी को 25 हजार जुर्माना और दो साल तक की सजा हो सकती (नागपंचमी 2022 ) है.

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