लॉकडाउन में पुलिस की दरियादिली:परीक्षा देकर पिता के साथ लौट रही लड़की की स्कूटी का पेट्रोल हुआ खत्म, धूप में पैदल चलता देख पुलिसकर्मी ने अपनी गाड़ी से निकालकर दिया।
कोरोना की दूसरी लहर के बीच लाॅकडाउन में सख्ती के साथ पुलिस का एक मानवीय चेहरा भी दिखा। पुलिस ने बेवजह घूमने वालों को डंडे ही नहीं मारे, जरूरतमदों की सहायता भी की। रीगल चौराहे पर एक पिता अपनी बेटी का परीक्षा के बाद घर लेकर रहा था। रास्ते में स्कूटी का पेट्रोल खत्म हो गया। पेट्रोल पंप बंद होने की वजह से दोनों ही पैदल जाने लगे। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के हेड कांस्टेबल रंजीत ने उन्हें रोक लिया। वे डर गए, लेकिन यह डर कुछ देर ही रहा। रंजित अपनी बाइक से पेट्रोल निकालकर उनकी स्कूटी में भरने लगे। इसके बाद बच्ची का चेहरा खिल उठा। उसने रंजीत को थैंक्यू अंकल कहकर अभिवादन किया।
पिता राजू ने बताया कि उनकी बेटी 9वीं क्लास में है। उसका आज प्रैक्टिकल था। उसे लेने के लिए बाल विनय मंदिर गया था। लौटते समय रास्ते में पेट्रोल खत्म हो गया। मेरा घर कलेक्ट्रेट की ओर है। पंप बंद होने से कई किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता। बाइक को धक्का मारते हुए रीगल चौराहे पर पहुंचे थे। बेटी भी साथ में पैदल चल रही थी। इसी दौरान ड्यूटी पर तैनात यातायात के हेड कांस्टेबल रंजीत सिंह ने उन्हें रोक लिया। घर से बाहर निकलने का कारण पूछा तो राजू ने पूरी बात बता दी। इस पर रंजीत ने उन्हें गाड़ी साइड में लगाने को कहा।
राजू को लगा की पुलिस सख्ती करेगी, लेकिन हुआ उसके उलट। रंजीत ने तत्काल अपने साथी की मदद से अपनी बाइक से पेट्रोल निकाला और राजू की स्कूटी में डाल दिया। इस पर राजू और उसकी बेटी खुश हो गए। उन्होंने कहा कि पुलिस सख्ती तो कर रही है, लेकिन मदद भी कर रही है। वहीं, रंजीत का कहना है कि लॉकडाउन का मकसद किसी को परेशान करना नहीं है, बल्कि हमें इस महामारी को भगाने के लिए लोगों को जागरूक करना है।