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अजब गजन मप्र। बारिश में अंतिम संस्कार के लिए तिरपाल तानकर खड़े हुए ग्रामीण तब जली चिता।

When the villagers stood with a tarpaulin for the last rites in the rain, then the pyre was burnt.



 






मुरैना के गैपरा गांव में शव तिरपाल के नीचे शव जलाने पड़ रहे हैं। यहां टीन शेड न होने के कारण अंतिम संस्कार के लिए घंटों बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ता है। लोग घर पर ही लाश को मजबूरी में रखे रहते हैं। श्मशान पहुंचने पर बारिश शुरू होती है तो तिरपाल से जलती चिता को बुझने से बचाना पड़ता है।


पहाड़गढ़ पंचायत के गैपरा गांव जौरा कस्बा से मात्र 7 किलोमीटर दूर है। यहां 75 वर्ष की बुजुर्ग महिला गौरा गौड़ का निधन हो गया। जब महिला के शव को लेकर लोग श्मशान पहुंचे तो वहां बारिश आ गई। बारिश में चिता भीग जाती, इसलिए इस मुसीबत से बचने के लिए लोग तिरपाल साथ में लेकर आए थे। गांव वाले चिता पर तिरपाल तानकर खड़े हो गए, जिससे चिता बुझ न जाए। बाद में जब बारिश बंद हो गई, तब बड़ी मुश्किल में शव को जलाया जा सका। इस घटना का वीडियो वहां मौजूद एक व्यक्ति ने बना लिया।


गांव वालों ने बताया कि ऐसा ही एक मामला गत वर्ष हुआ था। बारिश का मौसम था। गैपरा गांव के एक युवक वीरेन्द्र पाठक की लाश को लेकर गांव वाले इसी श्मशान में आए थे, लेकिन जैसे ही चिता को आग लगाई, अचानक बारिश आ गई। लोग तिरपाल लेकर आए नहीं थे, लिहाजा चिता बुझ गई और लाश अध जली रह गई। बाद में जैसे-तैसे लोगों ने चिता में राब, शक्कर डालकर उसको सुलगाया। लोग घंटों बैठे रहे। तब कहीं जाकर चिता में आग लगी और लाश जली।


लाश जलाने के दौरान तिरपाल को ओढ़कर खड़े लोग
लाश जलाने के दौरान तिरपाल को ओढ़कर खड़े लोग

72 वर्ष में नहीं हो पाए डेढ़ लाख रुपए
आजादी के 72 साल बाद भी आज, गांवों में यह स्थित देखने को मिल रही है। टीन शेड लगवाने के लिए मात्र डेढ़ लाख रुपए की आवश्यकता है। इसका प्रस्ताव ग्राम पंचायत द्वारा भेजा जा चुका है। 400 घर और तीन हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव में बारिश के दौरान मरने वाले लोगों की दुर्दशा होती है। ऊपर दिए गए तो दो उदाहरण केवल नाम मात्र हैं, लोगों ने बताया कि बारिश के दिनों में कई चिताएं बुझ गईं, जिन्हें बाद में जैसे-तैसे प्रज्वलित कर शवों को जलाया गया।


बारिश में हो जाता कीचड़
गैपरा गांव के श्मशान में नीचे पक्का फर्श नहीं है, जिससे बारिश के दौरान वहां कीचड़ हो जाती है। अर्थी के साथ आने वाले लोगों के बैठने तक को जगह नहीं है। पानी तक की व्यवस्था नहीं है। जब भी गांव में किसी की मौत होती है, उसके दुख के साथ-साथ ग्रामीणों को इस शमशान में आने से डर लगता है। उन्हें न बैठने को जगह मिलती है और न पीने को पानी। अगर हाथ-पैर भी धोने हैं तो वापस, गांव जाकर धोते हैं।


इस विषय में जब जिला पंचायत CEO रोशन सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है। मैं इसकी जानकारी लेकर वहां टीन शेड बनवाने की व्यवस्था करूंगा।

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